Samkaleen Paschatya Darshan (Contemporary Western Philosophy)
Samkaleen Paschatya Darshan (Contemporary Western Philosophy) - Paperback is backordered and will ship as soon as it is back in stock.
Couldn't load pickup availability
प्रस्तुत पुस्तक में सामान्यत: बीसवीं शताब्दी के कुछ प्रमुख दार्शनिक विचारों का परिचय प्रस्तुत करने का प्रयत्न किया गया है। बीसवीं शताब्दी के पहले के भी कुछ • विचारकों का प्रसंगानुसार उल्लेख किया है। वह अकारण या अपवाद रूप में नहीं हुआ है, बल्कि अनिवार्य रूप में हुआ है। सोरेन कर्कगार्ड उन्नीसवीं शताब्दी के विचारक है। किन्तु उनके जीवन काल में उनके विचारों को कोई मान्यता नहीं मिल पायी। बीसवीं शताब्दी के तीसरे तथा चौथे दशक में जब अस्तित्ववाद का प्रभाव बढ़ने लगा, तब उनके विचारों का समुचित स्थापन हुआ। इस दृष्टि से विचारक उन्नीसवीं शताब्दी के हैं, किन्तु विचार बीसवीं शताब्दी का है। पर्स भी बीसवीं शताब्दी के बहुत पहले के विचारक हैं, फिर भी, उपयोगितावाद के दर्शन के किसी विवरण में उनके विचारों का उल्लेख प्रासंगिक ही नहीं, अनिवार्य है। ब्रेडले की तत्त्व-दर्शन- सम्बन्धी मूल कृति 'Apperance and Reality' का प्रकाशन भी बीसवीं शताब्दी के प्रारम्भ के पहले हो चुका था किन्तु उसमें विकसित विचार बीसवीं शताब्दी के प्रथम चरण में ही प्रतिष्ठित हुए।
जितने प्रकार के दार्शनिक विचारों का उल्लेख पुस्तक में हुआ है, से सभी बीसवीं शताब्दी में प्रकाश में आये हैं। उन सबों का स्पष्ट प्रभाव भारतीय दर्शन-जगत पर है। अत: उनका परिचयात्मक विवरण अनिवार्य प्रतीत होता है। हिन्दी में ऐसी पुस्तकों का प्रायः अभाव ही है। प्रस्तुत इन कठिनाइयों की स्पष्ट अनुभूति में इन विचारों के प्रमाणिक प्रस्तुतिकरण की दिशा में एक प्रयास है।
पुस्तक की भाषा हर स्थल पर 'पुस्तकों की भाषा जैसी नहीं है। अनेक स्थलों पर ""भाषा-सौन्दर्य' की और ध्यान न देकर' बोल-चाल की भाषा का प्रयोग हुआ है। पुस्तक बीसवीं शताब्दी में पनपे दार्शनिक विचारों की सामान्य दृष्टियों की विवेचना है। तार्किक भाववाद के प्रचण्ड आघात के बाद तत्त्वमीमांसीय चिन्तन भी एक नये ढंग में रूप लेकर उभरा। पुस्तक में इसकी चर्चा नहीं थी। तो परिशिष्ट के रूप में इसी की चर्चा कर दी है। इसी के अन्तर्गत स्ट्रासन के 'विवरणात्मक तत्त्वमीमांसा' का भी विवरण प्रस्तुत हुआ है। यह पूरा अध्याय ही नया अध्याय है।
लेखक के बारे में:
स्वर्गीय श्री बसन्त कुमार लाल, भूतपूर्व प्रोफेसर एवं अध्यक्ष मगध विश्वविद्यालय, बोधगया, चालीस वर्षों तक पटना विश्वविद्यालय एवं मगध विश्वविद्यालय में अध्यापन कार्य करते रहे। उन्होंने धर्म-दर्शन, इतिहास-दर्शन, तत्ववाद, ज्ञान मीमांसा, सामाजिक एवं राजनीतिक परिप्रक्ष्य में प्रचुर मात्रा में लिखा है।
-
Pages
-
Edition
-
Size
-
Condition
-
Language
-
Weight (kg)
-
Publication Year
-
Country of Origin
-
Territorial Rights
-
Reading Age
-
HSN Code
-
Publisher
