MOTILAL BANARSIDASS PUBLISHING HOUSE (MLBD) SINCE 1903

SKU: 9788120822313 (ISBN-13)  |  Barcode: 8120822315 (ISBN-10)

Samkaleen Bharatiya Darshan

₹ 695.00

Binding : Hardcover

Pages : 425

Edition : 10th Reprint

Size : 5.5" x 8.5"

Condition : New

Language : English

Weight : 0.0-0.5 kg

Publication Year: 2021

Country of Origin : India

Territorial Rights : Worldwide

Reading Age : 13 years and up

HSN Code : 49011010 (Printed Books)

Publisher : Motilal Banarsidass Publishing House


About the Book: 

भारत में 'दर्शन' को 'दृष्टि' कहा गया है। माना जाता है कि दर्शन सत्-दृष्टि देता है। सत्-दृष्टि वास्तविक अवास्तविक की समझ है। जिससे अस्पष्टता, अनेकार्थकता, व्यामिश्र, वैचारिक गुत्थी तथा उलझनों को स्पष्ट करने का प्रयत्न होता है।

प्रस्तुत पुस्तक एक तरफ जहाँ दार्शनिक चिन्तन को एक नया व्योम देती है वहीं दूसरी तरफ भारतीय विचारकों की अपनी परम्परा के प्रति आश्वस्त कराती है एवं समकालीन भारतीय विचारों को दर्शनशास्त्रीय ढाँचे में ढाल कर प्रस्तुत करने का प्रयत्न। करती है। पुस्तक मूलत: विवरणात्मक है, जिन स्थानों पर समीक्षायें अथवा बौद्धिक विवेचनायें हुई हैं, वे भी इसी उद्देश्य से कि कुछ अस्पष्ट 'भावों' को स्पष्ट कर दिया। | जाए जिससे दार्शनिक चिन्तक को चिन्तन की नयी राह मिले। इसमें 'एकवाद' 'जगत की वास्तविकता', 'मनुष्यत्व की गरिमा', 'मानव स्वतन्त्रता की वास्तविकता', 'अन्तर्दृष्टि का महत्त्व', आदि विषयों पर मीमांसा की गई है एवं विद्वानों की आलोचनात्मक टिप्पणियों का समावेश तथा दर्शन को जीवन के साथ जोड़ने का सकारात्मक प्रयास किया गया है। पुस्तक का मुख्य उद्देश्य उस प्रचलित धारणा का खण्डन है कि आज के भारत में दार्शनिक चिन्तन हो ही नहीं रहा है एवं समकालीन विचारक प्राचीन दार्शनिकों के विचारों की पुनरावृत्ति मात्र ही करते हैं तथा अंधविश्वास से ग्रसित हैं। अत: विचारों पर पुन: विचार, उनमें पारम्परिक विचारों के अवशेष तथा उनके नवीन मौलिक विचारों के अंश-दोनों को उभारने का एवं प्रकाश में लाने का कार्य पुस्तक सराहनीय ढंग से करती है। इसमें भारतीय विचारकों के द्वारा इस बात पर बल दिया गया है कि 'सत्य' अन्तर्दृष्टि से प्राप्त होता है, बौद्धिक विवेचन से नहीं। पुस्तक में स्वामी विवेकानन्द, रवीन्द्रनाथ टैगोर, महात्मा गांधी, श्री अरविंद, कृष्ण चन्द्र भट्टाचार्य, सर्वपल्ली राधाकृष्णन एवं मुहम्मद इकबाल के दार्शनिक विचार, मत एकैक्य. आलोचना, दृष्टिकोणों को सम्मिश्रित किया गया है।

About the Author:

स्वर्गीय श्री बसन्त कुमार लाल, भूतपूर्व प्रोफेसर एवं अध्यक्ष मगध विश्वविद्यालय, बोधगया, चालीस वर्षों तक पटना विश्वविद्यालय एवं मगध विश्वविद्यालय में अध्यापन कार्य करते रहे। उन्होंने धर्म-दर्शन, इतिहास-दर्शन, तत्ववाद, ज्ञान मीमांसा, सामाजिक एवं राजनीतिक परिप्रक्ष्य में प्रचुर मात्रा में लिखा है।