About the Book:Â
à¤à¤¾à¤°à¤¤ में 'दरà¥à¤¶à¤¨' को 'दृषà¥à¤Ÿà¤¿' कहा गया है। माना जाता है कि दरà¥à¤¶à¤¨ सतà¥-दृषà¥à¤Ÿà¤¿ देता है। सतà¥-दृषà¥à¤Ÿà¤¿ वासà¥à¤¤à¤µà¤¿à¤• अवासà¥à¤¤à¤µà¤¿à¤• की समठहै। जिससे असà¥à¤ªà¤·à¥à¤Ÿà¤¤à¤¾, अनेकारà¥à¤¥à¤•à¤¤à¤¾, वà¥à¤¯à¤¾à¤®à¤¿à¤¶à¥à¤°, वैचारिक गà¥à¤¤à¥à¤¥à¥€ तथा उलà¤à¤¨à¥‹à¤‚ को सà¥à¤ªà¤·à¥à¤Ÿ करने का पà¥à¤°à¤¯à¤¤à¥à¤¨ होता है।
पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• à¤à¤• तरफ जहाठदारà¥à¤¶à¤¨à¤¿à¤• चिनà¥à¤¤à¤¨ को à¤à¤• नया वà¥à¤¯à¥‹à¤® देती है वहीं दूसरी तरफ à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ विचारकों की अपनी परमà¥à¤ªà¤°à¤¾ के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ आशà¥à¤µà¤¸à¥à¤¤ कराती है à¤à¤µà¤‚ समकालीन à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ विचारों को दरà¥à¤¶à¤¨à¤¶à¤¾à¤¸à¥à¤¤à¥à¤°à¥€à¤¯ ढाà¤à¤šà¥‡ में ढाल कर पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ करने का पà¥à¤°à¤¯à¤¤à¥à¤¨à¥¤ करती है। पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• मूलत: विवरणातà¥à¤®à¤• है, जिन सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ पर समीकà¥à¤·à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ अथवा बौदà¥à¤§à¤¿à¤• विवेचनायें हà¥à¤ˆ हैं, वे à¤à¥€ इसी उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ से कि कà¥à¤› असà¥à¤ªà¤·à¥à¤Ÿ 'à¤à¤¾à¤µà¥‹à¤‚' को सà¥à¤ªà¤·à¥à¤Ÿ कर दिया। | जाठजिससे दारà¥à¤¶à¤¨à¤¿à¤• चिनà¥à¤¤à¤• को चिनà¥à¤¤à¤¨ की नयी राह मिले। इसमें 'à¤à¤•à¤µà¤¾à¤¦' 'जगत की वासà¥à¤¤à¤µà¤¿à¤•à¤¤à¤¾', 'मनà¥à¤·à¥à¤¯à¤¤à¥à¤µ की गरिमा', 'मानव सà¥à¤µà¤¤à¤¨à¥à¤¤à¥à¤°à¤¤à¤¾ की वासà¥à¤¤à¤µà¤¿à¤•à¤¤à¤¾', 'अनà¥à¤¤à¤°à¥à¤¦à¥ƒà¤·à¥à¤Ÿà¤¿ का महतà¥à¤¤à¥à¤µ', आदि विषयों पर मीमांसा की गई है à¤à¤µà¤‚ विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ की आलोचनातà¥à¤®à¤• टिपà¥à¤ªà¤£à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ का समावेश तथा दरà¥à¤¶à¤¨ को जीवन के साथ जोड़ने का सकारातà¥à¤®à¤• पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ किया गया है। पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• का मà¥à¤–à¥à¤¯ उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ उस पà¥à¤°à¤šà¤²à¤¿à¤¤ धारणा का खणà¥à¤¡à¤¨ है कि आज के à¤à¤¾à¤°à¤¤ में दारà¥à¤¶à¤¨à¤¿à¤• चिनà¥à¤¤à¤¨ हो ही नहीं रहा है à¤à¤µà¤‚ समकालीन विचारक पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ दारà¥à¤¶à¤¨à¤¿à¤•à¥‹à¤‚ के विचारों की पà¥à¤¨à¤°à¤¾à¤µà¥ƒà¤¤à¥à¤¤à¤¿ मातà¥à¤° ही करते हैं तथा अंधविशà¥à¤µà¤¾à¤¸ से गà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¤ हैं। अत: विचारों पर पà¥à¤¨: विचार, उनमें पारमà¥à¤ªà¤°à¤¿à¤• विचारों के अवशेष तथा उनके नवीन मौलिक विचारों के अंश-दोनों को उà¤à¤¾à¤°à¤¨à¥‡ का à¤à¤µà¤‚ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ में लाने का कारà¥à¤¯ पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• सराहनीय ढंग से करती है। इसमें à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ विचारकों के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ इस बात पर बल दिया गया है कि 'सतà¥à¤¯' अनà¥à¤¤à¤°à¥à¤¦à¥ƒà¤·à¥à¤Ÿà¤¿ से पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होता है, बौदà¥à¤§à¤¿à¤• विवेचन से नहीं। पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• में सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ विवेकाननà¥à¤¦, रवीनà¥à¤¦à¥à¤°à¤¨à¤¾à¤¥ टैगोर, महातà¥à¤®à¤¾ गांधी, शà¥à¤°à¥€ अरविंद, कृषà¥à¤£ चनà¥à¤¦à¥à¤° à¤à¤Ÿà¥à¤Ÿà¤¾à¤šà¤¾à¤°à¥à¤¯, सरà¥à¤µà¤ªà¤²à¥à¤²à¥€ राधाकृषà¥à¤£à¤¨ à¤à¤µà¤‚ मà¥à¤¹à¤®à¥à¤®à¤¦ इकबाल के दारà¥à¤¶à¤¨à¤¿à¤• विचार, मत à¤à¤•à¥ˆà¤•à¥à¤¯. आलोचना, दृषà¥à¤Ÿà¤¿à¤•à¥‹à¤£à¥‹à¤‚ को समà¥à¤®à¤¿à¤¶à¥à¤°à¤¿à¤¤ किया गया है।
About the Author:
सà¥à¤µà¤°à¥à¤—ीय शà¥à¤°à¥€ बसनà¥à¤¤ कà¥à¤®à¤¾à¤° लाल, à¤à¥‚तपूरà¥à¤µ पà¥à¤°à¥‹à¤«à¥‡à¤¸à¤° à¤à¤µà¤‚ अधà¥à¤¯à¤•à¥à¤· मगध विशà¥à¤µà¤µà¤¿à¤¦à¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯, बोधगया, चालीस वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ तक पटना विशà¥à¤µà¤µà¤¿à¤¦à¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ à¤à¤µà¤‚ मगध विशà¥à¤µà¤µà¤¿à¤¦à¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ में अधà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤¨ कारà¥à¤¯ करते रहे। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने धरà¥à¤®-दरà¥à¤¶à¤¨, इतिहास-दरà¥à¤¶à¤¨, ततà¥à¤µà¤µà¤¾à¤¦, जà¥à¤žà¤¾à¤¨ मीमांसा, सामाजिक à¤à¤µà¤‚ राजनीतिक परिपà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¥à¤¯ में पà¥à¤°à¤šà¥à¤° मातà¥à¤°à¤¾ में लिखा है।