MOTILAL BANARSIDASS PUBLISHING HOUSE (MLBD) SINCE 1903

Purana Purusha Yogiraj Srishyamacharan Lahiri (Telugu)

Binding
ISBN: 9789359714851, 9359714852
Regular price ₹ 350.00

1. క్రియే సత్యం; తక్కినదంతా మిథ్య. క్రియా అభ్యాసమే వేదపాఠం. క్రియే యజ్ఞం. ఈ యజ్ఞం అందరూ చెయ్యవలసింది.

2. మీ కూటస్థంలోపలే నేను ఎప్పుడూ ఉన్నాను.

3. మీరందరూ నిజమైన విశ్వాసంతో నా శరణు కోరి ఆశ్రయం పొందినట్లయితే నేను ఎంతదూరంలో ఉన్నప్పటికీ మీ దగ్గరికి రాకతప్పదు; మరో మార్గం లేదు. నేను క్రియచేసేవాళ్ళ దగ్గరే ఉంటూంటాను.

4. ఎవడూ పాపీ లేడు, పుణ్యాత్ముడూ లేడు. మనస్సును కూటస్థంలో నిలపడం వల్ల పాపం ఉండదు; అందులో నిలపకపోవడమే పాపం.

5. మ్లేచ్ఛుడంటూ ఎవడూ లేడు; మనస్సే మ్లేచ్ఛ.

6. గురూపదేశాన్ని అనుసరించి ఈ శరీరంలో ఉన్న కూటస్థాన్ని చూడనివాళ్ళు గుడ్డివాళ్ళు.

7. క్రియ చేసి క్రియకు పరావస్థలో ఉండండి. ఇంతకన్న అధికం లేదు.

About the Author:

ग्रन्थकार योगाचार्य श्री अशोक कुमार चट्टोपाध्याय अध्यात्म जगत में एक विश्ववरेण्य व्यक्तित्व है। ये वतसक ज्ञतपलरवहं- डेंजमत है। समग्र भारतवर्ष में धर्म निर्विशेष रूप से हिन्दुओं, मुसलमानों, ईसाइयों, बौद्धों, जैनों एवं बाग्ला, हिन्दी, उड़िया, असमिया, तेलगू, मराठी. गुजराती, मलयालाम भाषाभाषियों में इनके शिश्य अनुगामी भरे पड़े हैं। भारतवर्ष के बाहर भी यथा अमेरिका, इंग्लैण्ड, फ्राँस, स्पेन, कनाडा, आस्ट्रेलिया द० कोरिया, बांग्लादेश सह अन्य अनेक देशों में इनके बहुत से भक्त शिष्य हैं। भारतीय सनातन धर्म के ध्रुवतारा योगिराज श्रीश्यामाचरण लाहिड़ी महाशय की योगसाधना, जो शक्रियायोगश के नाम से सुपरिचित है, के प्रचार व प्रसार के उद्देश्य से समग्र भारत सह पृथ्वी के विभिन्न देशों का अक्लान्त भाव से इन्होनें भ्रमण किया है। इनके जीवन का एक ही उद्देश्य है और वह है योगिराज के आदर्श, उनकी योगसाधना एवं उनके उपदिष्ट ज्ञान भण्डार को पृथ्वीवासियों के समक्ष प्रस्तुत कर देना ताकि वे सत्यलोक एवं सत्य पथ का संन्धान पा सकें। इसी उद्देश्य से अपने असाधारण पाण्डित्य के बल इन्होंने रचना की है बांग्ला भाषा में विभिन्न ग्रन्थों की यथा श्पुराण पुरुष योगिराज श्रीश्यामाचरण लाहिड़ीश, श्प्राणामयम् जगतश्, श्श्यामाचरण क्रियायोग व अद्वैतवादश, श्योग प्रबन्धे भारतात्माश्, श्सत्यलोके सत्यचरणश् श्के एइ श्यामाचरणश् एवं सम्पादन किया है पाँच खण्डों में प्रकाशित श्योगिराज श्यामाचरण ग्रन्थावली का। भारत के विभिन्न भाषाओं यथा हिन्दी, उड़िया, तेलगू, मराठी, गुजराती, तमिल सह अंग्रेजी एवं फ्राँसीसी

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GUMMADI RAJASHEKAR
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