MOTILAL BANARSIDASS PUBLISHING HOUSE (MLBD) SINCE 1903

Purana Purusha Yogiraj Srishyamacharan Lahiri (Oriya)

Binding
ISBN: 9789359715445, 9359715441
Regular price ₹ 450.00

୧. କ୍ରିୟା ସତ୍ୟ ଆଉ ସବୁ ମିଥ୍ୟା । କ୍ରିୟା ର ଅଭ୍ୟାସ ହିଁ ବେଦ ପାଠ । କ୍ରିୟା ହିଁ ଯଜ୍ଞ I ଏହି ସମସ୍ତ ଙ୍କ କରିବା ଉଚିତ ।

୨. ତୁମ୍ଭ ମାନଙ୍କର କୂଟସ୍ଥ ମଧ୍ୟରେ ହିଁ ମୁଁ ସର୍ବଦା ଅଛି ।

୩. ପ୍ରକୃତ ବିଶ୍ବାସର ସହିତ ତୁମ୍ଭେମାନେ ଯଦି ମୋର ଶରଣାପନ୍ନ ହୁଅ, ତାହାହେଲେ ମୁଁ ଯେତେଦୂରରେ ଥିଲେ ମଧ୍ୟ ଉପସ୍ଥିତ ନ ହେବାର ଉପାୟ କଣ ବା ଅଛି? ଯେଉଁମାନେ କ୍ରିୟା କରନ୍ତି ମୁଁ ସେମାନଙ୍କର ନିକଟରେ ରହେ ।

୪. କେହି ପାପୀ ନୁହଁନ୍ତି ବା କେହି ପୁଣ୍ୟବାନ୍ ମଧ୍ୟ ନୁହଁନ୍ତି । କୂଟସ୍ଥ ରେ ମନ ରହିଲେ ପାପ ନଥାଏ, ମନ ନ ରହିଲେ ହିଁ ପାପ ।

୫. କେହି ମ୍ବେଚ୍ଛ ନୁହଁନ୍ତି. ମନ ହିଁ କେବଳ ମୁଚ୍ଛ ।

୬. ଏହି ଶରୀର ରେ ଯେଉଁ କୂଟସ୍ଥ ଅଛନ୍ତି, ତାହାଙ୍କୁ ଯେଉଁ ବ୍ୟକ୍ତି ଗୁରୁଙ୍କ ଉପଦେଶ ଅନୁସାରେ ନ ଦେଖେ ସେ ଅନ୍ଧ ।

୭. କ୍ରିୟା କର ଏବଂ କ୍ରିୟା ର ପରାବସ୍ଥାରେ ରୁହ I ଏହା ଅପେକ୍ଷା ଅଧିକ ଆଉକିଛି ନାହିଁ I

About the Author:

ग्रन्थकार योगाचार्य श्री अशोक कुमार चट्टोपाध्याय अध्यात्म जगत में एक विश्ववरेण्य व्यक्तित्व है। ये वतसक ज्ञतपलरवहं- डेंजमत है। समग्र भारतवर्ष में धर्म निर्विशेष रूप से हिन्दुओं, मुसलमानों, ईसाइयों, बौद्धों, जैनों एवं बाग्ला, हिन्दी, उड़िया, असमिया, तेलगू, मराठी. गुजराती, मलयालाम भाषाभाषियों में इनके शिश्य अनुगामी भरे पड़े हैं। भारतवर्ष के बाहर भी यथा अमेरिका, इंग्लैण्ड, फ्राँस, स्पेन, कनाडा, आस्ट्रेलिया द० कोरिया, बांग्लादेश सह अन्य अनेक देशों में इनके बहुत से भक्त शिष्य हैं। भारतीय सनातन धर्म के ध्रुवतारा योगिराज श्रीश्यामाचरण लाहिड़ी महाशय की योगसाधना, जो शक्रियायोगश के नाम से सुपरिचित है, के प्रचार व प्रसार के उद्देश्य से समग्र भारत सह पृथ्वी के विभिन्न देशों का अक्लान्त भाव से इन्होनें भ्रमण किया है। इनके जीवन का एक ही उद्देश्य है और वह है योगिराज के आदर्श, उनकी योगसाधना एवं उनके उपदिष्ट ज्ञान भण्डार को पृथ्वीवासियों के समक्ष प्रस्तुत कर देना ताकि वे सत्यलोक एवं सत्य पथ का संन्धान पा सकें। इसी उद्देश्य से अपने असाधारण पाण्डित्य के बल इन्होंने रचना की है बांग्ला भाषा में विभिन्न ग्रन्थों की यथा श्पुराण पुरुष योगिराज श्रीश्यामाचरण लाहिड़ीश, श्प्राणामयम् जगतश्, श्श्यामाचरण क्रियायोग व अद्वैतवादश, श्योग प्रबन्धे भारतात्माश्, श्सत्यलोके सत्यचरणश् श्के एइ श्यामाचरणश् एवं सम्पादन किया है पाँच खण्डों में प्रकाशित श्योगिराज श्यामाचरण ग्रन्थावली का। भारत के विभिन्न भाषाओं यथा हिन्दी, उड़िया, तेलगू, मराठी, गुजराती, तमिल सह अंग्रेजी एवं फ्राँसीसी

Customer Reviews

Be the first to write a review
0%
(0)
0%
(0)
0%
(0)
0%
(0)
0%
(0)