MOTILAL BANARSIDASS PUBLISHING HOUSE (MLBD) SINCE 1903

Purana Purusha Yogiraj Srishyamacharan Lahiri (Marathi)

Binding
ISBN: 9789359719993, 9359719994
Regular price ₹ 400.00

१) क्रिया सत्य आहे, बाकी सर्व मिथ्या आहे, क्रियेचा अभ्यास हाच वेदपाठ आहे, क्रिया हाच यज्ञ आहे, हा यज्ञ सर्वांनी केला पाहिजे.

२) तुम्हा सर्वांच्या कूटस्थामधे मी सर्वदा स्थित आहे.

३) तुम्ही सर्व जर खञ्या विश्वासाने मला शरण याल आणि माझा आश्रय घ्याल तर मी कितिही दूर असलो तरी सुद्धा तुमच्यामधे उपस्थित रहाण्यावाचून मी काहीच करू शकत नाही. जे क्रिया करतात त्यांच्या जवळ मी सतत असतो.

४) कोणी पापी नाही. कोणी पुण्यात्मा नाही. कूटस्थामधे मन ठेवण्यामुळे पाप रहात नाही, त्यामधे मन न ठेवणे हेच पाप.

५) कोणी क्षुद्र (म्लेन्च्छ) नाही, मनच म्लेच्छ आहे.

६) या शरीरामधील कूटस्थाला जे गुरुउपदेशा नुसार बघत नाहीत ते आंधळे आहेत.

७) क्रिया करा आणि क्रियेच्या परावस्थेमधे रहा या पेक्षा अधिक काहीही नाही.

लेखक के बारे में:

ग्रन्थकार योगाचार्य श्री अशोक कुमार चट्टोपाध्याय अध्यात्म जगत में एक विश्ववरेण्य व्यक्तित्व है। ये वतसक ज्ञतपलरवहं- डेंजमत है। समग्र भारतवर्ष में धर्म निर्विशेष रूप से हिन्दुओं, मुसलमानों, ईसाइयों, बौद्धों, जैनों एवं बाग्ला, हिन्दी, उड़िया, असमिया, तेलगू, मराठी. गुजराती, मलयालाम भाषाभाषियों में इनके शिश्य अनुगामी भरे पड़े हैं। भारतवर्ष के बाहर भी यथा अमेरिका, इंग्लैण्ड, फ्राँस, स्पेन, कनाडा, आस्ट्रेलिया द० कोरिया, बांग्लादेश सह अन्य अनेक देशों में इनके बहुत से भक्त शिष्य हैं। भारतीय सनातन धर्म के ध्रुवतारा योगिराज श्रीश्यामाचरण लाहिड़ी महाशय की योगसाधना, जो शक्रियायोगश के नाम से सुपरिचित है, के प्रचार व प्रसार के उद्देश्य से समग्र भारत सह पृथ्वी के विभिन्न देशों का अक्लान्त भाव से इन्होनें भ्रमण किया है। इनके जीवन का एक ही उद्देश्य है और वह है योगिराज के आदर्श, उनकी योगसाधना एवं उनके उपदिष्ट ज्ञान भण्डार को पृथ्वीवासियों के समक्ष प्रस्तुत कर देना ताकि वे सत्यलोक एवं सत्य पथ का संन्धान पा सकें। इसी उद्देश्य से अपने असाधारण पाण्डित्य के बल इन्होंने रचना की है बांग्ला भाषा में विभिन्न ग्रन्थों की यथा श्पुराण पुरुष योगिराज श्रीश्यामाचरण लाहिड़ीश, श्प्राणामयम् जगतश्, श्श्यामाचरण क्रियायोग व अद्वैतवादश, श्योग प्रबन्धे भारतात्माश्, श्सत्यलोके सत्यचरणश् श्के एइ श्यामाचरणश् एवं सम्पादन किया है पाँच खण्डों में प्रकाशित श्योगिराज श्यामाचरण ग्रन्थावली का। भारत के विभिन्न भाषाओं यथा हिन्दी, उड़िया, तेलगू, मराठी, गुजराती, तमिल सह अंग्रेजी एवं फ्राँसीसी

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