About the Book:
मानव चेतना को अवचेतना के अंधेरों से सत्यचेतना] अतिचेतना के उजालों की ओर ले चलने वाली यह दिव्य पुस्तक] 'परापथ' एक ऐसी पुस्तक है जिसका हर शब्द मधुमय दिव्य शक्ति और ज्ञान से प्रक्षालित उस ब्रह्मबूंद की तरह हैं जो पाठक के हृदय और मस्तिष्क दोनों पर तत्क्षण एक असाधारण प्रभाव छोड़ेगा जिसके परिणाम स्वरूप उसकी चेतना और मन का उत्थान होगा] उच्च शक्तियों के द्वार खुलेंगे] सोच बदलेगी मनुष्य संकुचित विचारधारा के दायरे से निकलकर असीम आनन्द और समता के स्त्रोत की ओर अग्रसर होगा। यह पुस्तक न केवल पाठकों कों भारतीय ऋषि सत्ता से जोड़ने का कार्य करेगी बल्कि ऋषियों की उस यौगिक जीवन शैली] आर्य मूल्यों से भी अवगत कराएगी जिसकी जानकारी से हमारे युवा अबतक अनभिज्ञ रहे हैं। व्यक्ति के जीवन] समाज और राष्ट्र को उठाने और दिव्य बनाने का ईष्वरीय कार्य करने की इस पुस्तक में असाधारण क्षमता है। इस पुस्तक से हमारा युवावर्ग बहुत लाभान्वित होगा] इससे उन्हें केवल एक सही दिशा ही नहीं मिलेगी बल्कि यह सदा उनके साथ रहकर उनके लिए एक अति स्थाई प्रेरणा स्त्रोत बनकर रहेगी। आइये परापथ पढ़े और अपने को] समाज] राष्ट्र और विश्व को बदलें ।
About the Author:
जन्म&15 अगस्त 1951 (हापुड़] उत्तर प्रदेश) शिक्षा- एम- ए- बीएड डी- ए- वी- के कु- ह- मा- स्कूल में अध्यापिका एवं मुख्याध्यापिका के रूप में 35 वर्षो का अनुभव।
उपलब्ध्यिां- अंतर्राष्ट्रीय आध्यात्मिक संस्था द्वारा पुरस्कृत] प्रज्ञा टी-वी- चैनल पर दो वर्षो तक सिद्धांत प्रोग्राम में मुख्य वक्ता के तौर पर अहम भूमिका] गायत्री परिवार की सदस्या के रूप में समर्पित ।
यू ट्यूब पर जो वीडियो उपलब्ध हैं- गायत्री ध्यान योग] स्वः संकेतो से आत्मपरिवर्तन] प्रज्ञा चैनल पर दिए वक्तव्यों की वीडियो।