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SKU: 9789359716923 (ISBN-13)  |  Barcode: 9359716928 (ISBN-10)

कार्मिक ज्योतिष: वैदिक एवं पाश्चात्य ज्योतिष के अनुसार (पूर्व जन्मों के ऋणों का मनोवैज्ञानिक एवं आध्यात्मिक उपचार) Karmic Astrology: A Spritual and Psychological Study of Karma with all the Planets as in Vedic and Western Astrology

Binding
₹ 695.00

Binding : Paperback

Pages : 624

Edition : 1st

Size : 5.5" x 8.5"

Condition : New

Language : Hindi

Weight : 0.0-0.5 kg

Publication Year: 2024

Country of Origin : India

Territorial Rights : Worldwide

Book Categories : Astrology

Reading Age : 13 years and up

HSN Code : 49011010 (Printed Books)

Publisher : Motilal Banarsidass Publishing House


भारतीय ज्योतिष विद्वान पाश्चात्य ज्योतिष शास्त्र की पुस्तकों की अनुपलब्धता के कारण एक भ्रामक मनोस्थिति रखते हैं कि पाश्चात्य देशों में पूर्व जन्म को नहीं माना जाता है जबकि वहाँ के विद्वानों ने इस पर गहन अध्ययन किया है। पाश्चात्य देशों के विद्वानों ने 'वैदिक ज्योतिष' की महत्ता को समझ कर भारतीय ज्योतिष से अपने ज्ञान का संवर्धन किया और पूर्व जन्म के ऋणों या कर्म पर अपने शोधों का विस्तार किया और 'कार्मिक ज्योतिष' की रचना की।

कार्मिक ज्योतिष की संकल्पना एक नया ज्योतिषीय समावेश है, जो पारंपरिक व्याख्याओं के प्रति मानवीय दृष्टिकोण में और अधिक आध्यात्मिकता को लेकर आया है। मैं सदियों से इतने सारे लोगों द्वारा किए गए कार्यों के लिए उनके ज्ञान में योगदान को नमन करता हूँ। इस ज्ञान ने जीवन क्या है, इसकी समझ को बदल दिया है, मुझे और लाखों अन्य लोगों को हमारे जीवन को समझने के लिए सक्षम बनाया है। वैदिक ज्योतिष में जीवन के बहुत से महत्त्वपूर्ण विषयों पर प्रकाश डाला गया है, लेकिन वक्त के साथ साथ कई नए आयाम भी मानव जीवन में जुड़ते चले गए और उन विषयों पर ग्रहों के प्रभावों का पाश्चात्य ज्योतिष में गहन अध्ययन किया गया है। उन अध्ययनों का समावेश इस पुस्तक में किया गया है।


About the Author:

लेखक ने 1990 में इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के बाद कुछ साल नौकरी की, लेकिन पिता जी के कारण कुछ साल बाद अपने पारिवारिक पेशे पुस्तक विक्रय में आना पडा। शीघ्र ही अपना खुद का प्रकाशन शुरू किया, जिसमें जूनियर, हाईस्कूल, इण्टरमीडिएट और डिग्री लेवल तक की लगभग 250 पुस्तकों का लेखन स्वयं किया। इस कारण विभिन्न विषयों में लगातार अध्ययन करने का जुनून धीरे धीरे दीवानगी की हद तक पहुँच गया। कहते हैं प्रारब्ध अपना कार्य जरूर करेगा। लेखक की कुंडली में ग्रहों की स्थिति तथा शनि की महादशा उसे धीरे-धीरे ज्योतिष विज्ञान की ओर खींचने लगी। 2010 से ज्योतिष अध्ययन की यात्रा शुरू हुई, और आज तक अनवरत जारी है।

ज्योतिष की सैंकड़ों पुस्तकों का अध्ययन करते समय पाश्चात्य ज्योतिष की ओर जिज्ञासा बढ़ी क्योंकि ये पुस्तकें बाज़ार में हिंदी भाषा में उपलब्ध नहीं हैं। आम तौर पर हमारे देश के ज्योतिषी पाश्चात्य ज्योतिष को केवल 'सन साइन और मून साइन' पर आधारित मानते हैं और उसको गंभीरता से नहीं लेते हैं। बहुत अधिक गहराई से साठ से अधिक पाश्चात्य पुस्तकें पढ़कर ज्ञात हुआ कि पाश्चात्य ज्योतिष ने भी वैदिक ज्योतिष को अपना कर तथा उसका प्रयोग कर बहुत कुछ शोध किया है।

यह पुस्तक कार्मिक ज्योतिष पाश्चात्य तथा वैदिक ज्योतिष पर आधारित पुस्तक है जिसमें आप अपनी कुंडली में विभिन्न भावों में, विभिन्न राशियों में स्थित ग्रहों के अध्ययन से ज्ञात कर सकते हैं आप पूर्व जन्म में क्या करते थे? आप क्या थे? और आपको अपने पूर्व जन्म के ऋणों को इस जन्म में कैसे उतार कर परम लक्ष्य (मोक्ष) की ओर कदम बढ़ाना है।