About the Book:
प्रस्तुत पुस्तक की रचना विभिन्न राज्यों के अन्तर्गत +2 स्तर के समाजशास्त्र के विद्यार्थियों की आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर एक स्तरीय पाठ्य-पुस्तक के रूप में की गयी है। मुख्य रूप से CBSE के पाठ्यक्रर्मों तथा NCERT के निदेशों को ध्यान में रखकर इस पुस्तक की रचना की गयी है। NCERT की पुस्तकों में जो कमियाँ हैं उनकी भरपाई करने की भरसक कोशिश की गयी है। राज्य स्तर के पाठ्यक्रमों को ध्यान में रखते हुए विभिन्न विषय-वस्तुओं का समावेश करने का प्रयास किया गया है। इस पुस्तक में इस बात पर विशेष ध्यान दिया गया है कि विद्यार्थियों को समाजशास्त्र के नवीनतम तथ्यों की जानकारी सरल भाषा में प्राप्त हो। साथ ही इस बात की भी पूरी कोशिश की गयी है कि जो लोग अंग्रेजी माध्यम से पठन-पाठन करते हैं, वे भी इसे पढ़कर समाजशास्त्र के गूढ़ विषयों को आसानी से समझ सकें। इस पुस्तक में इस बात का भी प्रयास किया गया है कि अंग्रेजी के समाजशास्त्रीय शब्दों का हिन्दी में सही और सटीक अनुवाद हो तथा पाश्चात्य विद्वानों के नामों का भी प्रमाणिक उच्चारण हो। इस पुस्तक में लेखक ने अपने समाजविज्ञान विश्वकोश (2009) को आधार मानकर एक स्तरीय पुस्तक की रचना करने की कोशिश की है। आमतौर पर हिन्दी की पुस्तकों में न तो तकनीकि शब्दों का शुद्ध अनुवाद और न ही लेखकों के नामों का शुद्ध उच्चारण देखने को मिलता है। प्रस्तुत पुस्तक विश्वसनीय समाजशास्त्रीय तथ्यों एवं सूचनाओं का रोचक भण्डार है। इसमें जटिल-से-जटिल तथ्यों को सहजता एवं सुगमता से प्रस्तुत किया गया है।
About the Author:
डॉ. जे. पी. सिंह, एम.ए. (पटना वि.) एम.पिफल. (जे.एन.यू.) पी.एच.डी. (ऑस्ट्रेलियन नेशनल यूनिवर्सिटी, केनबेरा ), प्रोफेसर (सेवा-निवृत्त), स्नातकोत्तर समाजशास्त्र विभाग, पटना विश्वविद्यालय, पटना। निदेशक (उच्च शिक्षा), बिहार सरकार तथा प्रो-वाइसचांसलर, पटना विश्वविद्यालय के रूप में योगदान का अनुभव। लेखक एक प्रख्यात समाजशास्त्री एवं जनसंख्याशास्त्री के रूप में जाने जाते हैं। लेखक की अन्य उपयोगी पुस्तके 1. समाजविज्ञान विश्वकोश 2. समाजशास्त्र के मूलतत्त्व (तृतीय संस्करण) 3. आधुनिक भारत में सामाजिक परिवर्तन (द्वितीय संस्करण) 4. समाजशास्त्र अवधारणाएँ एवं सिद्धांत (तृतीय संस्करण)