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Sanatan Jeevan-Darshan Evam Geeta-Sandesh

Binding
ISBN: 9789394201644, 9394201645
Regular price ₹ 700.00

श्रीमदभगवतगीता हिन्दुओं का ग्रन्थ अवश्य है, लेकिन इसे मात्र हिन्दुओं का धार्मिक ग्रन्थ के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए। गीता में जिस जीवन-दर्शन का प्रतिपादन हुआ है वह समस्त मानवजाति के लिए उपयोगी है। गीता पूरी मानवजाति और उनके विश्वासों एवं मूल्यों का आदर करती है।

गीता किसी विशिष्ट व्यक्ति, जाति, वर्ग, पंथ, देश-काल या किसी रूढ़िग्रस्त सम्प्रदाय का ग्रन्थ नहीं, बल्कि यह सार्वलौकिक, सार्वकालिक धर्मग्रन्थ है। यह प्रत्येक देश, प्रत्येक जाति तथा प्रत्येक स्तर के प्रत्येक स्त्री-पुरुष के लिए है। इस्लाम में भी गीता- दर्शन की स्वीकृति है।

गीता सार्वभौम धर्मग्रन्थ है। धर्म के नाम पर प्रचलित विश्व के समस्त ग्रन्थों में गीता का स्थान अद्वितीय है। यह स्वयं में धर्मशास्त्र ही नहीं, बल्कि अन्य धर्मग्रन्थों में निहित सत्य का मानदण्ड भी है। गीता वह कसौटी है, जिसपर प्रत्येक धर्मग्रन्थ में वर्णित सत्य अनावृत्त हो उठता है और परस्पर विरोधी कथनों का समाधान निकल आता है।

गीता में जिस जीवन-दर्शन का प्रतिपादन हुआ है, वह निश्चित रूप से अतुलनीय है। इस पुस्तक को हर समुदाय और विचारधारा के लोगों को अध्ययन करना चाहिए। गीता में बताए गए रास्ते पर चलनेवाले व्यक्ति कभी भी इस लोक या परलोक में पिछड़ नहीं सकते।

गीता आध्यात्म का एक महान ग्रन्थ है। अन्य धर्मों के आलोक में इसकी रचना मानव जाति के हित में की गयी है। यह पूरी मानवता का पथ- प्रदर्शक है। गीता में विश्वास करनेवाला व्यक्ति कभी उग्रवादी और अमानुषिक नहीं हो सकता है।

इस पुस्तक में यही प्रयास किया गया है कि गीता के उपदेशो को सरलतम भाषा में आम पाठकों तक बिना किसी पूर्वाग्रह के पहुँचाया जाए।

 

About the Author:

डॉ. जे. पी. सिंह, एम.. (पटना वि., पटना); (एम.पिफल) (.ने.वि., नई दिल्ली); (पी-एच.डी) ; (ऑस्ट्रेलियन नेशनल यूनिवर्सिटी, कैनबेरा)। पूर्व प्रोफेसर एवं प्रति-कुलपति, पटना विश्वविद्यालय, पटना के रूप में कार्य करने का अनुभव। भारत के प्रख्यात समाजशास्त्री एवं जनसंख्याशास्त्री के रूप में पहचान। लेखक का आध्यात्मिक नाम स्वामी देवधारा है तथा बनारस से इन्हें ज्योतिषशास्त्र में दैवज्ञश्री तथा ज्योतिष रत्न विशारद की उपाधि प्राप्त है।