MOTILAL BANARSIDASS PUBLISHING HOUSE (MLBD) SINCE 1903



Shri Shri Paratrishika: Mahamaheshwar Acharya Abhinavgupta ki Vivrit Sahit

by Neelkanth Gurutoo


  • ISBN Hardcover: 9789356764132, 9356764131
  • ISBN Paperback: 9789356764125, 9356764123
  • Year of Publication: 2013
  • Edition: 2nd Reprint
  • No.of Pages: 460
  • Pages: 460
  • Publisher: Motilal Banarsidass Publishing House
  • Sale price ₹ 800.00 Regular price ₹ 800.00

    Tax included. Shipping calculated at checkout.

    About the Book:

    "परात्रिंशिका" मूलरूप से कश्मीर के अद्वैत त्रिकदर्शन के मुख्य तन्त्रग्रन्थ "रुद्रयामलतन्त्र" से उद्धृत 35 श्लोकों का एक छोटा संग्रह है। यह संग्रह पश्यन्ती भूमिका पर उतर कर अपने ही बहिर्मुखीन शाक्तप्रसर का रहस्य समझने की कामना से शिष्य के रूप में प्रश्न पूछने वाली भगवती परभैरवी ‘पराभटरिका’ और पराभाव पर ही अवस्थित रहकर गुरु के रूप में उसके प्रश्न का समाधान प्रस्तुत करने वाले उत्तरदाता ‘परभैरव’ का पारस्परिक संवाद है। यह एक बृहत्काय शारदा मूल-पुस्ती है जिसका अंतिम भाग श्री परात्रिंशिका है। पूर्व भाग आचार्य अभिनव द्वारा रचित ‘श्री तन्त्रसार’ तन्त्रग्रन्थ है।

    About the Author: 

    नीलकंठ गुरुटू (1925-2008) एक कश्मीरी संस्कृत और शैव विद्वान और प्रोफेसर थे, जिन्होंने कई दार्शनिक ग्रंथों का हिंदी या अंग्रेजी में अनुवाद किया। उन्होंने पं- लालक लंगू, पं- हरभट शास्त्री और पं- सर्वदानंद हांडू, पं- महेश्वर नाथ और पं- जानकीनाथ धर से संस्कृत व्याकरण और भाषा विज्ञान के उन्नत पाठ सीखे । उन्होंने सरकारी संस्कृत कॉलेज, श्रीनगर से संस्कृत में प्रज्ञा, विशारदा और शास्त्री की पारंपरिक डिग्री के लिए भी अर्हता प्राप्त की। प्रभाकर की डिग्री के लिए अर्हता प्राप्त करने के बाद उन्होंने बी-ए- संस्कृत में भी डिग्री प्राप्त की। उन्होंने प्रोफेसर बालाजीनाथ पंडित और स्वामी लक्ष्मन जू से कश्मीर शैववाद की बारीकियां सीखी । उन्होंने शुरू में कश्मीर के त्रल में सरकारी संस्कृत स्कूल में संस्कृत शिक्षक के रूप में भी काम किया।