श्री अरविन्द और ब्रैडले का परमतत्त्ववाद (Shri Aurobindo aur Bradley ka Parmatattvavad)
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प्रस्तुत ग्रन्थ में श्री अरविन्द के समग्र अद्वैतवाद और बैडले की तत्त्वमीमांसीय अवधारणा की विवेचना तथा समीक्षा परमतत्त्व के विशेष सन्दर्भ में की गई है। श्री अरविन्द और ब्रैडले क्रमशः भारत और पाश्चात्य जगत् की सुदीर्घ अध्यात्मवादी दार्शनिक परम्परा का प्रतिनिधित्व करते हैं। इन दोनों परम्पराओं में कुछ बातों में अत्यधिक साम्य तथा कुछ में मौलिक भेद है। श्री अरविन्द और ब्रैडले के दर्शन में ये स्पष्ट रूप से परिलक्षित होते हैं। लेखक ने इनके मुख्य सिद्धान्तों का विशद, गम्भीर और तर्कसंगत निरूपण तथा मूल्यांकन किया है। श्री अरविन्द के समग्र अद्वैतवाद, परमतत्त्व, अतिमन, जगत्, जीव, विकासवाद आदि तथा ब्रैडले के परमतत्त्व, बुद्धि, त्रुटि, आभास, तर्क-प्रणाली आदि तत्त्वों और सिद्धान्तों की लेखक ने सरल, सुबोध एवं प्रामाणिक व्याख्या प्रस्तुत की है। इसके साथ ही साथ इन दोनों दार्शनिकों के विशेष योगदान, उनकी समानताओं तथा भेद का भी स्पष्ट एवं प्रामाणिक प्रतिपादन किया है।
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