पूर्वजों की पुण्य-भूमि (संस्कृति ट्रायलोजी का तृतीय पुष्प) (Purvajon ki Punya-Bhumi : Sanskriti Trilogy ka Tritiya Pushp)
पूर्वजों की पुण्य-भूमि (संस्कृति ट्रायलोजी का तृतीय पुष्प) (Purvajon ki Punya-Bhumi : Sanskriti Trilogy ka Tritiya Pushp) - Paperback is backordered and will ship as soon as it is back in stock.
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भव्य भारतवर्ष के पूर्वी प्रवेश झारखंड का पश्चिमी जनपद है पलामूं। अनुपम प्राकृतिक सौन्दर्यं का जीवन्त प्रतिमान है पलामूं। ऐतिहासिक पलामू किले का अधिष्ठान है पलामूं। महाराज मेविनीराय के यशस्वी गौरव का आख्यान है पलामूं। कोयल, ओरंगा और अमानत के पवित्र जल से अभिसिंचित स्थान है पलामूं। पलास, लाह और महुआ का सुरभित उद्यान है पलामूं। नेतरहाट पठार के सूर्यास्त और सूर्योदय का अंशुमान है पलामूं। बेतला नेशनल पार्क में मृगछौनों का नृत्य और कोकिल का मधुरिम गान है पलामूं। पूर्वी भारत के गोवा के रुप में प्रसिद्ध फिल्मस्थान है पलामू। रामचरितमानस के नवाह्न पारायण का अनुष्ठान है पलामूं। "पूर्वजों की पुण्य-भूमि" इसी पलामूं जनपद का पैनोरमा है। पधारो म्हारे वेश !! जामुन्डीह, गाँव बड़ा सुहावन; सादर आमंत्रण ! प्रत्येक आलेख पठनीय भाषा-शैली ऐसी कि पढ़ना प्रारंभकिया, तो अध्याय समाप्त किए बिना ठहरने का प्रश्न ही नहीं उठता। यदि आपने पुस्तक पढ़ लिया तो भारतीय ज्ञान-गौरव से परिपूर्ण बौद्धिकता के शिखर पर होंगे आपआत्म-विश्वास से भरा हुआ।
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