पौराणिक नक्षत्र ज्योतिष: वेदों, पुराणों, उपनिषदों, तैत्तिरीय ब्राह्मण तथा महाभारत में वर्णित नक्षत्रों के देवताओं द्वारा एक वृहद शोध
पौराणिक नक्षत्र ज्योतिष: वेदों, पुराणों, उपनिषदों, तैत्तिरीय ब्राह्मण तथा महाभारत में वर्णित नक्षत्रों के देवताओं द्वारा एक वृहद शोध - Paperback is backordered and will ship as soon as it is back in stock.
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आज के समय में, ज्योतिषीय जानकारियों का उपयोग सरलता और व्यावहारिकता के आधार पर किया जाता है। लोग अक्सर आसान और त्वरित उपायों की ओर आकर्षित होते हैं, जिसके कारण नक्षत्रों के गहन अध्ययन की आवश्यकता महसूस नहीं होती। इसी कारण से, ज्योतिष में नक्षत्रों का अध्ययन कम हो गया है।
नक्षत्रों की स्थिति, चाल और गोचर में अंतराल बहुत अधिक होता है। नक्षत्रों का प्रभाव बहुत सूक्ष्म और दीर्घकालिक होता है, जो ज्योतिषीय रूप से साधारण व्यक्ति के लिए समझना और विश्लेषण करना कठिन हो सकता है। आधुनिक ज्योतिष में लोग तत्काल प्रभावों और समाधान के लिए अधिक आकर्षित होते हैं, जबकि नक्षत्रों के प्रभाव का अध्ययन दीर्घकालिक दृष्टिकोण से किया जाता है।
साधारण ज्योतिषी को नक्षत्रों का ज्ञान नीरस, उबाऊ तथा कठिन महसूस होता है। इसके अतिरिक्त बाजार में उपलब्ध नक्षत्रों पर समस्त पुस्तकों में नक्षत्रों के देवता तो बताए गए हैं, परंतु वह क्यों उस विशेष नक्षत्र के देवता हैं और उसका क्या प्रभाव है, यह नहीं बताया गया है।
अपनी ज्ञान सुधा को परिपूर्ण करने के लिए लेखक ने नक्षत्र के देवताओं पर वेदों, तैत्तिरीय ब्राह्मण, उपनिषदों, पुराणों तथा महाभारत में वर्णित नक्षत्रों के देवताओं पर गहन अध्ययन किया है।
इस अनुपम पुस्तक में नक्षत्र के देवताओं के क्रियाकलापों के आधार पर जातक के जीवन पर ग्रहों के प्रभावों के साथ-साथ आध्यात्मिक तथा मनोवैज्ञानिक समाधानों का भी विस्तार में वर्णन मिलेगा।
एक खण्ड अत्यंत आसान व दिलचस्प भाषा में नक्षत्रों के आधुनिक अनुसंधानों पर दिया गया है जो किसी भी पाठक को नक्षत्रों के विषय में वे जानकारियां उपलब्ध कराता है जो उसको गहन अध्ययन के लिए प्ररित करेगा।
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